मंत्रों के तेजोमय शक्ति का समुच्चय कहा गया है। इसी तरह बीजाक्षर भी शक्ति-पुंज माने गए हैं। मंत्र मानव से परे स्थित शक्ति को जाग्रत करते हैं। मंत्र-सिद्ध का अर्थ है मंत्र को सशक्त तथा जागृत बनाना। प्राणतोषिणी के अनुसार ’मंत्र-साधक जो भी चाहता है, वह उसे अवश्य प्राप्त होता है। ’यहां हम आपके लाभ के लिए कुछ चुने हुए मंत्र, उनकी प्रयोग विधि दे रहे हैं।
भौतिक समय में मंत्रों के संबंध में परामर्श देना, असामान्य-सा लग सकता है। इसके कई कारण हैं। मनुष्य स्वयं को अंतरिक्ष युग में समझ रहा है। विज्ञान पर उसका अगाध विश्वास है। फिर भी अशांति है। मंत्र इस अशांति को दूर कर सकते हैं। पूर्ण विधान से किया जाप शत् प्रतिशत फलप्रद होते देखा गया है। संस्कार, दीक्षा, माह, दिन, तिथि, नक्षत्र, दिशा, करण आदि विधानों से मात्र की परंपरा है। यदि आप अपने व्यस्त क्षणों में से कुछ क्षण मंत्र-जाप में उपयोग करते हैं, तो लाभ मिल सकता है।
गृह कलह से शांति- कई परिवारों में छोटी-छोटी बातों को लेकर गृह-कलह होता है। आप अनेक साधन-संपन्न हैं, फिर भी अशांति है। पति-पत्नी में यदि कोई भी एक मंत्र जाप कर लेता है तो किसी एक को बुद्धि आ जाएगी। गृह कलह तथा अशांति के वातावरण से मुक्ति मिल जाएगी। मंत्र- धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रू कालिका देवि शां शीं शूं में शुभंकुरू।। विधि- प्रातः स्नान कर देवी दुर्गा के चित्र पर पुष्प चढ़ाए, अगरबत्ती या दीपक जला दें। किसी भी माला से 108 बार जाप करें। यह जाप नियमित रूप से जब तक हो सके, कर सकते हैं। आर्थिक समस्याओं का निदान- भारत के अधिकांश नागरिक आर्थिक समस्याओं से संघर्ष कर रहे हैं। आकस्मिक व्यय से घर का आर्थिक बजट बिगड़ जाता है। आर्थिक संकटों से मुक्ति मिल सकती है। मंत्र- ऊँ श्रीं ह्नीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्री ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।। विधि- जिस कक्ष में मंत्र जाप करना हो, लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को लगा लें। किसी भी बुधवार की सांय में 6 से 12 के मध्य सा सुविधानुसार रात्रि का समय। कंबल के आसन पर बैठकर देवी का प्रारंभिक पूजन, लाल कनेर या लाल पुष्प, दीप जलाकर करें। फिर 108 दाने वाले माले से 11 बार माला का पाठ करें। संभव हो तो 108 बार आहुति (हवन) दे दें।