स्त्री के लिए रत्न तथा स्वर्णाभूषणों का आकर्षण अपनी जगह है पर श्रृंगार में मेंहदी का उपयोग सर्वाधिक प्रिय है। यह विवाहिता के हाथों में रचाने के बाद जितने गहरे रंग से उभरेगी तो पति से उसका प्रेम उतना ही गहरा होगा। इसके स्पर्श मात्र से ही अन्तस में ’श्रृंगार रस’ की मादकता छलक उठेगी। मेहंदी के बारे में यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसका सीधा संबंध देवी दुर्गा के एक रूप देवी महाकाली से है। मेहंदी लगाने से स्त्री के हाथों की रेखाएं तक भी बदल सकती हैं जिसके परिणाम स्वरूप उसके जीवन में सुख-समृद्धि, धन-दौलत के द्वार तक भी खुल सकते हैं। मेहंदी के औषधीय उपयोग से रोगमुक्त स्वस्थ-दुरस्थ रहा जा सकता है तो शुक्र, मंगल, शनि ग्रहों की दृष्टि शुभ मंगलमय भी हो सकती है। आज मेहंदी श्रृंगार वस्तु होने के साथ-साथ एक औषधि का काम भी करती है। इसे विभिन्न आयुर्वेद कार्यों में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। मंेहदी के संबंध में ज्योतिष शास्त्र के मत को जाने तो स्त्री-पुरूष की हथेलियों में सभी मुख्य ग्रहों के अपने-अपने स्थान हैं। अंगुलियों के नीचे पर्वत की तरह उभारों की पहचान तक मुख्य ग्रहों से है। जब शुभ समय, शुभ कार्य के समय (विवाहादि) में हथेलियों पर मेहंदी रचाई जाती है तो ग्रह भी प्रसन्न होते हैं। उन्हें भी मेहंदी से शीतलता, उसके शुभ रंग, उसकी कलात्मक चित्रित सज्जा से आनन्द का बोध होता है। कोई जातक किसी ग्रह के कुप्रभाव वक्री दृष्टि-दशा से दुखी है, परेशान है अथवा दाम्पत्य जीवन में दरार है तो यह मेहंदी उस दरार को भरने, परेशानी से मुक्त करने में कारगर साबित हो सकती है। गर्मी में यह शरीर का तापमान अच्छा करती है और यह क्रैक नाखनों को भी ठीक करने में मदद करती है। मेहंदी को तो नेल पाॅलिश का स्थापन्न भी कहा जाता है। यही नही यह पीलिया तथा अन्य बिमारीयों में भी प्रभावशली है। मेहंदी का प्रयोग ड्राईंग, बालों की जड़ों को मजबूत करने के लिए भी होता है। यह बालों को मजबूत, घना, चमकदार बनाने में भी बहुत लाभकारी है। यह बाल झड़ने की एक आयुर्वेदिक दवा भी है जो बालों में रूसियों जैसी समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। साथ ही यह बालों का पीएच बैलेंस भी बनाए रखती है।
मेहंदी के रंग, सुगंध से ग्रह भी होते प्रसन्न
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Dec