14 गांठ वाला धागा दिलायेगा आपको व्यापार और आत्म सम्मान
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः –
सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। अनंन्त चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है। अनंन्त सूत्र बांधने पर व्यक्ति हर संकट से मुक्त होता है।
कई बार सुनने में आता हैं कि फला-फला व्यक्ति किसी समय में बहुत बड़ा बिजनेसमेन था और उसकी समाज में बहुत अच्छी पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान भी था लेकिन आज की तारीख में उस इंसान का पूरा बिजनेस ठप हुआ पड़ा है और वह इंसान दर-दर की ठोकरे खा रहा है।
जिस प्रकार कौरवों ने छल से जुए में पाण्डवों को हरा दिया था और पाण्डवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। ऐसे में जब एक दिन भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों से मिलने वन आए तो युधिष्ठर ने उनसे पूछा कि इस परेशानी से निकलने का और दुबारा राजपाट प्राप्त करने का क्या उपाय है। तब श्रीकृष्ण ने कहा आप सभी भाई पत्नी सहित भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें। इस पर युधिष्ठर ने अनंन्त भगवान के बारे में जिज्ञासा प्रकट की श्रीकृष्ण जी ने कहा कि वह विष्णु का ही अनंन्त रूप है। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंन्त शयन में रहते है। इनके पूजन से सभी कष्ट समाप्त हो जाते है। तब युधिष्ठर ने परिवार सहित यह व्रत किया और पुनः हस्तिनापुर का राजपाट प्राप्त हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की सलाह से पाण्डवों ने इसका पालन किया और सभी संकटों से मुक्त हुए। ठीक वैसे ही यह व्रत और पूजा करके आप भी अपना बिजनस और मान-सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।
अनंन्त चतुर्दशी के दिन करें यह विशेष पूजा –
महिलाएं सौभाग्य की रक्षा और पुरूष अपने सद्गति के लिए इस व्रत और पूजा को करते है। अनंन्त चतुर्दशी के दिन व्रत का संकल्प करते हुए घर के मंदिर में कलश की स्थापना करें, कलश पर दूर्वा और उस पर विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उनके समक्ष 14 गांठ वाला धागा रखें। सिंदूर, केसर और हल्दी से विष्णु जी को तिलक करें। रोली, मोली, धूप-दीप, अक्षत, पुष्प और नैवेद्य से पूजा करते समय ऊँ अनंताय नमः मंत्र का जाप करें। उसके बाद अनंन्त रक्षा सूत्र को पुरूष दांये हाथ और महिलाएं बांये हाथ में बांधे, बांधते समय विष्णु देवता का ध्यान करें और अनंन्त अनंन्त कहते रहे। आज के दिन नमक रहित भोजन करें तो अतिउत्तम रहेगा।