मंत्र शक्ति से एकाग्रता कैसे प्राप्त होती है। मंत्र जाप करने से आत्मा के भीतर स्पंदन उत्पन्न होता है। किसी भी मंत्र का आप स-स्वर उच्चारण करें अथवा मन ही मन उसका जाप करें, तो एक स्पंदन उत्पन्न होता है। यह स्पंदन आपके विचारों को विराम देकर एक्रागता प्रदान करता है। कैसे? आप स्वयं इसका प्रयोग करके देखें। आप जब परेशान होते हैं, किसी घटना पर क्रोधित हो जाते हैं, किसी घाटे से व्यथित हो जाते हैं, किसी अपमान से दुरूखी हो जाते हैं तब क्या होता है? बार-बार वो ही बात दिल-दिमाग में उठती है। ऐसे में आप केवल ऊँ का जाप करें। करते रहे, इससे आप जिस वजह से परेशान है और जो बात आपको बार-बार परेशान कर रही थी वह भूलने लगती है। धीरे-धीरे आप उससे मुक्त हो जाते हैं। जब बार-बार एक ही बात याद आती है और आप मंत्र-जाप पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते हैं तब यही मंत्र जाप आपको चिंता से मुक्त करने में सहायक होते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक मंत्र एक बीज के समान है। बीज में वृक्ष बनने की अपार शक्ति समाहित होती है लेकिन दिखाई नहीं देती। बीजों को आप भूमि पर बिखेर दीजिए, हो सकता है एक-दो पौधे पनप जाएं पर अधिकांश बीज व्यर्थ जाएंगे। इसके बजाय आप बीज को जमीन में बोएं, यानी बीज को गुप्त कर दें तो वह निश्चय ही पौधा और फिर वृक्ष बनकर न केवल छाया देगा, वरन फल भी देगा। उसके फूलों से सुगंध भी उठेगी। इसी प्रकार मंत्रों से उठने वाला ध्वनि स्पंदन शुभता की सभी संभावनाओं से पूर्ण होता है। मंत्र चेतना के स्तर पर कार्य करते हैं। जब हम स्वयं मंत्रोच्चार करते हैं अथवा उन्हें पूर्ण तल्लीन होकर सुनते हैं तो उन मंत्रों के ध्वनि स्पदंनों से हमारे मन का ढांचा अपने आपको पुनरू व्यवस्थित करता है। हमारे भीतर उत्तेजना कम हो जाती है। कैसे? आपने देखा होगा, अनुभव किया होगा कि जब हम हंसते हैं, तो हमारी खुशी बढ़ती है। रोते हैं तो दुरूख का भारीपन निकल जाता है, हल्के हो जाते हैं। क्यों होता है ऐसा? इसलिए कि हंसने और रोने से जो ध्वनि स्पदंन हुआ, उसके कारण खुशी या दुरूख का अहसास हुआ। मंत्र भी उसी तरह काम करते हैं। उनका पुनरावृत्तन यानी मंत्रों को बार-बार दोहराने से मन शांत व केन्द्रित हो जाता है। मंत्र-जाप से एक मनोवैज्ञानिक व मानसिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, वह शब्दों में नहीं बताई जा सकती, उसे अनुभव किया जा सकता है। जब मन शांत और केन्द्रित हो जाता है तभी साधक की साधना सफलता के शिखर की ओर अग्रसर हो जाती है। शांत मन से की गई साधना सर्वोत्तम शुभफल प्रदान करती है। इसीलिए आप मंत्र-शक्ति पर अविश्वास नहीं करें, बल्कि दृढ़ विश्वास और आस्था के साथ मंत्र जाप करें, तो कामनाओं की पूर्ति का मार्ग स्वतरू प्रशस्त होगा।
मंत्र शक्ति देगी आपको एकाग्रता
08
Mar