हो जाओ बलिहारी
भोला है भंडारी!!
देवों के देव महादेव के मन को भाने वाला सावन आ रहा है। सावन में शिव की आराधना, साधना और अभिषेक से जीवन को सार्थकता मिलती है। महादेव जल चढाने और ‘‘ऊँ’’ का जाप से ही प्रसन्न हो जाते हैं। वे भोले हैं, हंसराज रघुवंशी का एक गीत है- मेरा भोला है भंडारी, करे नंदी की सवारी शंभुनाथ रे। ये गीत जबरदस्त लोकप्रिय हुआ है। आपने भी सुना ही होगा, और नहीं सुना है तो इसे जरूर सुनिये। आंखे बंद कर लीजिए और गाने के शब्दों व संगीत में खो जाइये, आपको जरूर पोजेटिव एनर्जी मिलेगी। क्योंकि संगीत और भक्ति में डूबी वाणी की झंकार ऊर्जा उत्पन्न करती है। ये पोजेटिव एनर्जी आपको मोहित करती है। ऐसे ही भोलेबाबा की भक्ति भी आपको पोजेटिव एनर्जी से भर देती है। इस बार सावन में आप इसे आजमाईये। पूरे सावन रोजना सुबह स्नान आदि से निवृत होकर आप अपने मंदिर या पूजा कक्ष में बैठें। जरूरी नहीं कि रूद्री पाठ या लंबे-चैडे साधना-अनुष्ठान किएं जाएं।
आप आसन पर बैठ कर किसी भी मंत्र का जाप करें। ‘‘ऊँ’’, ‘‘ऊँ नमःशिवाय’’ या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कीजिए। आंखें बंद, ध्यान पूजा कक्ष में शिवलिंग हो तो उस पर अन्यथा शिव के चित्र पर रखें। अपनी सारी शक्तियों को केन्द्रित कर दोनों बंद आंखों के बीच के स्थान पर ध्यान लगाएं। मंत्र जाप करते रहें, मंत्र जाप की गूंज आपके पूरी शरीर से उठनी चाहिए। मंत्र के सिवाय आपका ध्यान कहीं ओर न जाएं। आप बलिहारी हो जाएं शिव पर। बलिहारी यानी न्यौछावर, सब कुछ शिव ही है, यह जानकर ध्यान मग्न रहे तो आपमें पोजेटिव एनर्जी का संचार होगा और आप अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के पथ पर शुभता के साथ आगे बढते जाएंगे। लेकिन ध्यान और मंत्र जाप संपूर्ण निष्ठा और बलिहारी होकर करना है। जैसे क्रोध में आपकी सारी शक्तियां एकत्र हो जाती है, ठीक उसी प्रकार ध्यान करें और अपनी शक्तियों को एकत्र कर ध्यान में लगा दें। क्रोध जैसे करते हैं, वैसे ही करें ध्यानः- आपने देखा होगा कि जब आप क्रोध करते हैं तो आपकी सारी शक्तियां आकर क्रोध में एकत्र हो जाती है। जिस व्यक्ति से आप सामान्य स्थिति में पंगा लेने से डरते हैं अगर क्रोध आ जाए तो आप उसे उठाकर पटक देंगे। क्योंकि क्रोध में आपकी सारी शक्तियां वहीं आकर केन्द्रित हो गई और आपने जो काम करने की कल्पना नहीं कर सकते, वो कर बैठते हैं। आप क्रोध में हैं और कोई व्यक्ति आपको रोक रहा है तो आप न तो उसकी सुनेंगे न ही रूकेंगे।
ठीक इसी प्रकार ध्यान के समय भी अपनी सारी शक्तियों को केन्द्रित कर लें तो समझ लीजिए भोले भंडारी ने आपकी झोली खुशियों से भर दी है। इस ध्यान से भटकाव नहीं होना चाहिए, न किसी के टोकने से, न किसी विचार से। जैसे क्रोध में किसी की नहीं सुनते, वैसे ही ध्यान में किसी को पास फटकने न दें। और तब ध्यान से निकली पोजेटिव एनर्जी आपके जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल देगी। आपके चेहरे पर आकर्षण और व्यक्त्वि में निखार आ जाएगा।
सावन में करें आठ दरिद्रों का नाश
अष्ट दरिद्र विनाशक लिंगम्
इसके साथ ही आपको सावन माह में एक और विशेष उपाय बता रहा हूं जिससे आपके अष्ट दरिद्र का होगा नाश।
यह तो हम सभी जानते है, कि सावन माह में शिवलिंग की पूजा से हर मनोकामना की पूर्ति होती है पर शिवलिंग के अभिषेक के साथ ही पूरे सावन में लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से हमारे आठ प्रकार के दरिद्रों का नाश हो जाता है। शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र में कहा गया है अष्टदलो परिवेष्टित लिंगम, सर्वसमुद्रव कारण लिंगम। अष्ट दरिद्र विनाशक लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम।। यानी सभी समुद्रों के कारण और आठ दलों से परिपूर्ण शिवलिंग सभी आठों प्रकार के दरिद्रों का नाश करता है।
आठ प्रकार के दरिद्र कौनसे हैं ? यह जानने से पहले जानें कि आठ प्रकार के ऐश्वर्य कौनसे हैं ? 1 आयु, 2 आरोग्य, 3 अभिवृद्धि यानी प्रोस्पेरिटी, 4 पुत्र-पौत्र, 5 धन-धान्य यानी वेल्थ, 6 विजय-सफलता, 7 शांति और 8 कीर्ति। इन आठ ऐश्वर्य का अभाव ही अष्ट दरिद्र कहा गया है। सावन माह में आप अपने घर के पूजाकक्ष में प्राण-प्रतिष्ठित, अभिमंत्रित पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना करें। पूरे सावन में शिवलिंग पर दूध व जल से अभिषेक के साथ ही नियमित रूप से लिंगाष्टकम पाठ करें। यह पाठ बहुत ही सरल संस्कृत में है, दो-चार बार पढने से ही कंठस्थ हो जाता है। लिंगाष्टकम का जाप आप धीमे नहीं बल्कि ऊंची आवाज में और लय के साथ करें। इससे सभी आठ प्रकार के दरिद्रों का नाश तो होता ही है जीवन में सुख-शांति व संतोष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, लिंगाष्टकम का नियमित पाठ करने से जन्म-जन्म के दुखों का नाश होकर सभी संचित पाप भी नष्ट होकर सभी सुखों की प्राप्ति होगी, परिवार में प्रेमपूर्ण एटमोस्फियर बना रहेगा और कामनाओं की पूर्ति के साथ परिवार में आध्यात्मिक व मांगलिक आयोजन होते रहेंगे।