आध्यात्मिक साधना सिद्धि ट्रस्ट, जोधपुर
आध्यात्मिक साधना सिद्धि ट्रस्ट, जोधपुर
यह ट्रस्ट 15 सितंबर 2007 को स्थापित किया गया था।
इस ट्रस्ट का उद्देश्य विविध सामाजिक बुराइयों को दूर करना और समाज को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाना है, जो समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए रहने योग्य हो। समाज में अनेक सामाजिक रीति–रिवाज व्याप्त हैं जो बुरे हैं और समाज की प्रगति में बाधक हैं तथा समाज के सदस्यों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हैं। अनेक सामाजिक रीति–रिवाज और प्रथाएँ समाज की प्रगति में बाधक हैं और आम नागरिकों के जीवन स्तर को बिगाड़ती, विकृत करती और नुकसान पहुँचाती हैं। राजस्थान की ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से माताओं और वृद्धों, व्यक्तिगत स्वच्छता, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के बारे में शिक्षा से वंचित और पिछड़ी हुई है। लोगों को एड्स, अन्य यौन संचारित रोगों, टीबी और मौसमी बीमारियों से बचाव के उपायों के बारे में भी शिक्षित किया जाना है। ट्रस्ट स्कूल, वृद्ध आश्रम, पालना गृह, अस्पताल, गौ–शाला इत्यादि में आर्थिक मदद् के साथ-साथ वस्त्र व कम्बल भी समय-समय वितरित करता आ रहा है।
इसकी आय भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 और उसके किसी भी वैधानिक संशोधन के अर्थ के अंतर्गत सार्वजनिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए भारत में संचित की जा रही है और पूर्वोक्त की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ट्रस्ट के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-
- आध्यात्मिक साधना सिद्धि ट्रस्ट, जोधपुर की स्थापना करना। उन सामाजिक प्रथाओं और रीति–रिवाजों का उन्मूलन करना जो समाज में जीवन की गुणवत्ता में बाधा डालते हैं और उसे नुकसान पहुँचाते हैं।
- विकलांग, वृद्ध और दुर्बल व्यक्तियों की स्थिति में सुधार के लिए समाज सेवा कार्य करना।
- ग्रामीण आबादी में साक्षरता स्तर में सुधार करना, जिसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों तथा उन लोगों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना है जो शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते।
- ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना और संचालन करना, ग्रामीण आबादी को सामान्य स्वच्छता और रोकथाम योग्य कारणों, विशेष रूप से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और अन्य बीमारियों जैसे एड्स, कैंसर, क्षय रोग, मलेरिया, हैजा, घेंघा, चेचक, जल जनित रोग, कुपोषण और नेत्र रोग आदि के बारे में शिक्षित करना। टीकाकरण, उचित शिशु आहार पद्धति आदि।
- स्कूल, अस्पताल, ग्वा–शाला, वृद्धाश्रम, पालना गृह, शैक्षणिक संस्थान, ज्योतिष शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान स्थापित करना।
- महिलाओं के सर्वांगीण एवं समग्र उत्थान के लिए सामुदायिक आधार पर कार्यक्रम शुरू करना तथा विधवाओं, निराश्रित, अनाथों एवं सामाजिक रूप से प्रताड़ित महिलाओं का पुनर्वास करना। महिला संगठनों, व्यावसायिक समूहों एवं पेशेवर संघों के माध्यम से समूह गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
- स्कूल न जाने वाले बच्चों और युवाओं को पूर्व–व्यावसायिक प्रशिक्षण विकल्पों पर परामर्श सेवाएँ प्रदान करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक समूहों का विकास करना।
- उन लोगों को, जिनके लिए जीवन अब जीने योग्य नहीं रहा, या जिनके पास कोई और नहीं है, परामर्श, मानवीय, अनौपचारिक, गैर–नैदानिक परामर्श के माध्यम से उचित एवं समय पर भावनात्मक समर्थन प्रदान करना। सामाजिक–आर्थिक स्थिति पर ध्यान दिए बिना सभी आयु वर्ग के पुरुषों एवं महिलाओं के ऐसे आह्वानों का उत्तर देना।
- समाज के सदस्यों के साथ–साथ समान सामाजिक कार्यों में लगे और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ अंतःक्रिया करने वाले अन्य संगठनों के लिए सम्मेलन, सेमिनार एवं प्रशिक्षण आयोजित करना।
- सरकारी, गैर–सरकारी संस्थाओं से अनुदान सहायता एवं अन्य वित्तीय सहायता स्थापित करना, बनाए रखना और प्रदान करना या प्राप्त करना। देश या विदेश में इस क्षेत्र में शामिल संगठन और अन्य एजेंसियां, पूर्वाग्रही सामाजिक रीति–रिवाजों और प्रथाओं के कारण पीड़ित व्यक्तियों को राहत देने के लिए इसी तरह के सामाजिक कार्य में लगे अन्य प्रतिष्ठान।
- उपर्युक्त उद्देश्यों हेतु सामान्य जागरूकता शिक्षा हेतु पुस्तकें, पत्रिकाएँ और जर्नल प्रकाशित करना।
- इस ट्रस्ट के लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु देश और विदेश में कार्यालय खोलना और उनका संचालन करना।
- उपर्युक्त किसी भी उद्देश्य से संबंधित स्थानीय समुदायों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण और अध्ययन करना।
- उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति में स्थानीय समुदायों की भूमिका (सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और चिकित्सीय रूप से) को सुदृढ़ करने हेतु रणनीतियाँ विकसित करना। सेवाओं की योजना बनाने, स्थापना करने और रखरखाव में समुदाय के पुरुषों और महिलाओं को संगठित करना।
भारत और विदेशों में ज्योतिष शास्त्र का प्रचार–प्रसार और शिक्षा प्रदान करना।