Rubies (माणिक्य)
Rubies(माणिक्य) रत्न सूर्य का है। जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में सूर्य शुभ भावों का स्वामी हो तो उस भाव को बढ़ाने के लिए माणिक्य रत्न धारण करना ही लाभदायक रहता है।
– यदि सूर्य तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में हो तो माणिक्य पहनना शुभ होता है।
– यदि जन्ककुण्डली में सूर्य लग्न में हो तो लग्न के प्रभाव को बढ़ाने के लिए माणिक्य पहनना चाहिए।
– अष्टम स्थान में यदि सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो माणिक्य पहनना गृहस्थ सुख के लिए आवश्यक होता है।
– सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति हो तो माणिक्य पहनना गृहस्थ सुख के लिए आवश्यक होता है।
– जन्मकुण्डली में यदि सूर्य पंचम भाव में या नवम भाव में हो तो तब भी उसे माणिक्य धारण करना चाहिए।
Pearl (मोती)
Pearl (मोती) चन्द्रमा का रत्न है। जिस जन्म कुण्डली में चन्द्रमा शुभ भावों का अधिपति हो ऐसे जातक को मोती धारण करना चाहिए।
– यदि चन्द्रमा पंचमेश होकर बारहवें भाव में हो तभी मोती धारण करना शुभ माना गया है।
– दूसरे भाव का स्वामी यदि चन्द्रमा हो और वह कुण्डली में कहीं पर भी हो तब भी मोती पहनना श्रेयस्कर माना गया है। केन्द्र में चन्द्रमा की उपस्थिति ही मानी गयी है,
ऐसे चन्द्र को बलवान बनाने के लिए मोती पहनना जरूरी है।
– यदि चन्द्रमा पर राहु, केतु या मंगल की दृष्टि हो तो मोती पहनना अत्यन्त लाभकारी होता है तथा जिसकी कुण्डली में चन्द्र वृश्चिक राशि का होकर कहीं पर भी स्थित
हो तो उसे अवश्य मोती धारण करना चाहिए।
– चन्द्रमा यदि नीच, राहु के साथ या चन्द्रमा की अन्तर्दशा हो तो उस व्यक्ति को भी मोती धारण करना शुभ माना गया है।
Coral (मूंगा)
Coral (मूंगा) मंगल का रत्न है। जिन व्यक्तियों की जन्म-कुण्डली में मंगल शुभ भावों का स्वामी हो तो ऐसे जातकों को मूंगा रत्न धारण करना शुभदायक होता है।
इस रत्न में यह विशेषता है कि यह रश्मि मंडल में से केवल मंगल की रश्मियों को ही सोखता है। जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली से मंगल दूषित अस्त या प्रभावहीन
हो तो मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
– मूंगा धारण करने से नज़र नहीं लगती है और भूत-प्रेत का डर नहीं रहता है।
– आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है।
– आकर्षण शक्ति बढ़ती है तथा लोगों का देखने का नजरिया बदलता है।
– मूंगा को पहनने से क्रूर तथा जलन का नाश हो जाता है।
Emerald (पन्ना)
Emerald (पन्ना) बुध का रत्न है। जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में बुध भावों का अधिपति हो उस व्यक्ति को बुध रत्न पन्ना पहनना शुभ रहता है।
ज्योतिषी मानते हैं कि पन्ना बुधवार के दिन धारण करना चाहिए। पन्ना धारण करते समय मनुष्य को अपनी कुंडली में बुध की स्थिति पर भी ध्यान
देना चाहिए। रत्न का वजन बेहद अहम होता है। कितने रत्ती का रत्न धारण करें, यह कुंडली का विश्लेषण कर सुनिश्चित करना चाहिए।
– गुस्से पर काबू करने और मन में एकाग्रता बढ़ाने के लिए पन्ना का प्रयोग करना चाहिए।
– जो जातक व्यापार तथा अंकशास्त्र संबंधित कार्य कर रहें हों उनके लिए पन्ना लाभकारी साबित होता है।
– बुध ग्रह को स्मरण शक्ति और विद्या आदि का कारक माना जाता है। पन्ना धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। छात्रों के लिए यह विशेष रत्न साबित होता है।
Topaz (पुखराज)
Topaz (पुखराज) Pukhraj (Yellow Sapphire) बृहस्पति का रत्न है। इस संबंध में अनेक विद्वानों का मत है कि बृहस्पति का रत्न सफेद पुखराज है या
पीला पुखराज, परन्तु कोई एकमत नहीं कर सके। परन्तु इसा रंग पीला ही होना चाहिए। यही ज्यादा उचित रहता है।
जिस व्यक्ति की कुण्डली में बृहस्पति शुभ भावों का अधिपति हो उन्हें पीला पुखराज धारण करना लाभदायक रहता है।
– पुखराज धारण करने से मान सम्मान तथा धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
– यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्रदान करवाता है।
– इस रत्न से जातकों के मन में धार्मिकता तथा सामाजिक कार्य में रुचि होने लगती है।
– विवाह में आती रुकावटें तथा व्यापार में होता नुकसान से बचने के लिए भी पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
Diamond (हीरा)
Diamond (हीरा) शुक्र का रत्न है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में शुक्र अच्छे भावों का अधिपति होता है। उन्हें हीरा रत्न अवश्य ही धारण करना चाहिए।
हीरा एक बेहद महंगा रत्न माना जाता है। अगर जातक हीरा ना खरीद पाए तो इसके स्थान पर जरकन, फिरोजा, ओपल या कुरंगी जैसे रत्न भी धारण कर सकता है।
यह सभी उपरत्न भी हीरे के समान ही फल देते हैं।
– हीरा धारण करने से आयु में वृद्धि होती है।
– मधुमेह तथा नेत्र रोगों से निजात दिलाता है।
– जो जातक व्यापार, फिल्म उद्योग तथा कला क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो वे हीरा धारण कर सकते हैं।
– संबंधों में मधुरता के लिए विशेषकर प्रेम संबंधों को हीरा बढ़ाता है।
– शिक्षा संबंधित परेशानी या विवाह में आती रुकावट हो तो हीरा का धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है।
Blue Sapphire (नीलम)
Blue Sapphire (नीलम) शनि का रत्न है। जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शनि शुभ भावों का अधिपति हो उनको अवश्य ही नीलम रत्न पहनना चाहिए।
– नीलम धारण करने से मन अशांत नहीं होता है।
– माना जाता है कि नीलम धारण करने से ज्ञान तथा धैर्य की वृद्धि होती है।
– नीलम वाणी में मिठास, अनुशासन तथा विनम्रता पैदा करता है।
– राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
– माना जाता है कि जो जातक तनाव तथा चिंताओं से घिरे हों उन्हें नीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।
Onyx (गोमेद)
Onyx (गोमेद) रत्न राहु का रत्न माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है और इसकी कोई अपनी राशि नहीं होती हैं यदि जन्म कुण्डली में राहु लग्न चैथे,
पांचवें, सावतें, नौंवे या दसवें भाव में हो तो राहु रत्न गोमेद धारण करना शुभ रहता है। ओनिक्स धारण कर व्यक्ति के समझने की क्षमता में वृद्धि होती
है और किसी भी स्थिति में प्रतिक्रिया देने से पहले गहराई से अध्ययन करने की शक्ति भी बेहतर होती है| बेहतर व्यवसायिक कुशाग्रता और प्रबंधन निपुणता
प्रदान करने के लिए अधिकतर ज्योतिषियों द्वारा उपयोग में लाया जाता है| जिन व्यक्तियों को राजनीती में रूचि है उन्हें इस रत्न का प्रयोग अवश्य करना
चाहिए.
– गोमेद से जीवन और प्रेम में विश्वास को पुनः स्थापित करता है|
– यदि राहु दूसरे, सातवें, आठवें तथा बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को भूलकर भी गोमेद नहीं पहनना चाहिए।
– गोमेद के साथ मूंगा, माणिक्य, मोती व पीला पुखराज धारण करना भी हानिकारक होता है।
Cat’s Eye (लहसुनिया)
लहसुनिया केतु का रत्न है। केतु भी एक छाया ग्रह है और इसकी भी अपनी कोई राशि नहीं होती। यदि जन्म कुण्डली में केतु लग्न चतुर्थ, सप्तम, दसम,
पंचम, नवम, तृतीय, षष्ठ या एकादश भाव में हो तो यह रत्न धारण करना शुभ रहता है।
– यदि केतु द्वितीय, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कभी भी अपनी अंगुुली में लहसुनिया नहीं जड़वाना चाहिए।
– केतु रत्न के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज जड़वाना शुभ नहीं रहता।
– माना जाता है कि लहसुनिया धारण करने से दुख:-दरिद्रता समाप्त हो जाता है। यह रत्न भूत बाधा तथा काले जादू से दूर रखने में सहायक माना जाता है।
– ज्योतिषी मानते हैं कि लहसुनिया के धारण करने से रात में बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं।
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